मानहानि मामले में उमा भारती को राहत, सेशन कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट पर लगाया स्टे
सत्ता विमर्श ब्यूरो
भोपाल: केंद्रीय मंत्री उमा भारती के खिलाफ मानहानि के प्रकरण में सेशन कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट पर स्थगनादेश जारी किया है। गिरफ्तारी वारंट जारी होने के कुछ ही देर के बाद रिविजन याचिका पर सुनवाई करते हुए गिरफ्तारी वारंट पर कोर्ट ने यह आदेश दिया। तेजी से घटे नाटकीय घटनाक्रम में गुरुवार सुबह सीजेएम भू-भास्कर यादव ने मानहानि मामले की सुनवाई करते हुए उमा भारती की ओर से पेश हाजिरी माफी आवेदन को खारिज कर गिरफ्तारी वारंट के आदेश दिए। तुरंत ही इस आदेश के खिलाफ उमा के वकील हरीश मेहता ने सेशन कोर्ट में गुहार लगाकर राहत भी हासिल कर ली। उन पर मानहानि का ये मुकदमा कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने दायर किया है।
भोपाल के चीफ ज्यूडिश्यिल मजिस्ट्रेट ने इस केस की सुनवाई के दौरान मौजूद ना होने पर केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती के खिलाफ ये गैर-जमानती वारंट जारी किया था। गुरुवार को उमा भारती के वकील ने कोर्ट में उपस्थिति से छूट की अर्जी दायर की थी। लेकिन कोर्ट ने अर्जी खारिज करते हुए गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया। कोर्ट ने पुलिस को उमा भारती के खिलाफ वारंट का पालन करने के निर्देश दिए हैं।
भारती के वकील ने कोर्ट को बताया कि केंद्रीय जल संसाधन मंत्री होने के नाते वह कावेरी नदी के पानी बंटवारे संबंधित एक बेहद महत्वपूर्ण बैठक में व्यस्त हैं इसलिए उन्हें व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी जाए। कोर्ट ने उनकी अर्जी खारिज करते हुए कहा कि उमा भारती अक्टूबर 2015 से बार-बार बुलाए जाने के बावजूद 13 साल पुराने मुकदमें में अपना बयान रिकार्ड करवाने नहीं आ रही हैं और उन्हें आवश्यकता से ज्यादा समय दिया जा चुका है।
इससे पहले फरवरी में तत्कालीन चीफ ज्यूडिश्यिल मजिस्ट्रेट पंकज सिंह महेश्वरी ने दिग्विजय सिंह और उमा भारती को अपने-अपने वकीलों के साथ मध्यस्थता के लिए बुलाया था। बताया जाता है कि उमा सुलह चाहती थीं लेकिन बात बन नहीं पाई। बाद में दिग्विजय ने ऐलान किया कि वो केस उसी शर्त पर वापस लेंगे जब उमा उनसे कोर्ट में माफी मांगेंगी।
कोर्ट ने आदेश में ये कहा
'आम जनता न्यायालयों पर ये आक्षेप लगाती है कि तारीख पर तारीख मिलती है। किंतु एक वर्ष से स्वयं अभियुक्त न्यायालय को उपस्थित होने तारीख पर तारीख दे रही हैं। ऐसे अभियुक्त के साथ किसी भी प्रकार की सहानभूति न्याय व्यवस्था को विफल करने वाली है। इसलिए उनका हाजिरी माफी आवेदन खारिज किया जाता है। चूंकि, अभियुक्त कैबिनेट मंत्री हैं और छोटे अधिकारी उन्हें गिरफ्तार करने से डरेंगे, इसलिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के माध्यम से वारंट को तामिल कराया जाए...'
क्या है मामला?
दरअसल, उमा भारती ने 2003 के विधानसभा चुनावों के दौरान दिग्विजय सिंह पर 15 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगाया था। इस कैम्पेन का असर ये हुआ कि कांग्रेस को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। उमा का आरोप था कि दिग्विजय ने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल 1998 से 2003 के दौरान ये महाघोटाला किया है। बाद में दिग्विजय सिंह ने उनके खिलाफ मानहानि का केस किया और दावा किया था कि उमा उनके खिलाफ 15 रुपए के घोटाले का आरोप भी सिद्ध नहीं कर पायेंगी।