अजित सिंह से मिले शिवपाल, महागठबंधन की अटकलें तेज
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी नेता शिवपाल यादव इन दिनों दिल्ली में हैं। यहां वो महागठबंधन की संभावनायें तलाशने आये हैं। इसी कवायद के तहत शिवपाल ने राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) अध्यक्ष अजित सिंह से मुलाकात की। इस मेल-मिलाप के दौरान उप्र सपा के अध्यक्ष के साथ उनके बेटे आदित्य यादव भी थे। बुधवार को शिवपाल ने कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर से भी मुलाकात की थी। स्पष्ट दिख रहा है कि सपा के ग्राफ को लेकर सुप्रीमो मुलायम सिंह और शिवपाल बेचैन हैं और इसलिए बड़े गठबंधन की आस में भटक रहें हैं। सूत्रों के मुताबिक मुलायम बिहार का एक्सपेरिमेंट अपने सूबे में करने को बेकरार हैं।
हालांकि शिवपाल की तरफ से इसे सपा की रजत जयंती के सिलसिले में निमंत्रण की औपचारिकता बताया गया, लेकिन सियासी हलकों में इसे महागठबंधन की ओर बढ़ने का कदम बताया है। चर्चा है कि यहां पर यूपी चुनाव के लिए महागठबंधन पर भी बातचीत हुई। बैठक के बाद शिवपाल यादव के बयान ने भी इसकी तस्दीक कर दी। उन्होंने कहा कि यूपी में बीजेपी को पैर जमाने नहीं दिया जाएगा। इसके लिए उनकी पार्टी सभी सेकुलर पार्टियों को एक मंच पर लाने की कोशिश करेगा। उन्होंने कहा कि सपा और रालोद एक साथ आएंगे।
वहीं, अजीत सिंह ने कहा कि शिवपाल जी ने हमें रजत जयंती समारोह के लिए आमंत्रित किया है, जिसमें हम जरूर जाएंगे। महागठबंधन के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमारे राजनीतिक और पारिवारिक संबंध हैं। कई मुद्दों पर बातचीत हुई है। इससे पहले सपा के पांच नवंबर को होने जा रहे रजत जयंती समारोह के लिए शिवपाल ने पूर्व प्रधानमंत्री और जदयू नेता एचडी देवेगौड़ा, जदयू के शरद यादव, बिहार के सीएम नीतीश कुमार से मिल कर उन्हें आमंत्रित कर चुके हैं। जिसमें शामिल होने के लिए नीतीश कुमार, शरद यादव और केसी त्यागी ने पहले ही हां कर दी है।
इससे पहले भी शिवपाल ने लखनऊ में महागठबंधन की ओर इशारा कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि समान विचारधारा वाली पार्टियों को एक साथ लाया जाएगा। उन्होंने ये भी कहा था कि वो अध्यक्ष पद छोड़ने को तैयार हैं और उनके साथ कई पुराने सपाई आने को तैयार बैठे हैं। समाजवादी पार्टी का अंतर्कलह जगजाहिर होने के बाद शिवपाल की कोशिशों ने और रफ्तार पकड़ ली है। वो जान रहें हैं कि इस चूहे बिल्ली के खेल में किसे नफा हो रहा है या किसी नुकसान हो रहा है कहना मुश्किल है लेकिन इस दंगल ने पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाया ही है। सूत्रों के अनुसार इसके लिए खासतौर पर कांग्रेस और रालोद पर दांव लगाया जा रहा है। दरअसल, रजत जयंती के बहाने सपा बसपा और खासतौर पर भाजपा को अपनी शक्ति का आभास कराना चाहती है। यानी बिहार की तर्ज पर महागठबंधन की संभावनायें बनती दिख रही है।