देश को आर्थिक मंदी से उबारने के लिए आरबीआई ने सरकार को दिए रिकॉर्ड 1.76 लाख करोड़ रुपये
मुंबई : भारतीय अर्थव्यवस्था में छाई सुस्ती के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आबीआई) ने सोमवार को केंद्र सरकार को लाभांश और सरप्लस फंड के मद से रिकॉर्ड 1.76 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित करने का निर्णय किया है। माना जा रहा है कि इस फंड से सरकार को लोककल्याणकारी योजनाओं की फंडिंग में मदद मिलेगी। साथ ही सरकार इसके जरिए नीचे जा रही अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए बड़े फैसले भी ले सकती है। आरबीआई ने बिमल जालान समिति की सिफारिशों के आधार पर केंद्र सरकार को रिकॉर्ड 1.76 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित करने की मंजूरी दी है। इसमें वित्त वर्ष 2018-19 (जुलाई-जून) के लिए 1,23,414 करोड़ रुपये का सरप्लस तथा 52,637 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान शामिल है।
केंद्रीय बैंक ने जारी अपने बयान में कहा है कि आरबीआई निदेशक मंडल ने 1,76,051 करोड़ रुपये सरकार को हस्तांतरित करने का निर्णय किया है। इसमें 2018-19 के लिए रिकॉर्ड 1,23,414 करोड़ रुपये के सरप्लस और 52,637 करोड़ रुपये अतिरिक्त प्रावधान के रूप में चिह्नित किया गया है। अतिरिक्त प्रावधान की यह राशि आरबीआई की आर्थिक पूंजी से संबंधित संशोधित नियमों (ईसीएफ) के आधार पर निकाली गई है। आरबीआई द्वारा सरप्लस ट्रांसफर से केंद्र सरकार को सार्वजनिक ऋण चुकाने तथा बैंकों में पूंजी डालने में मदद मिलेगी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन पहले ही सरकारी बैंकों में 70 हजार करोड़ रुपये की पूंजी डालने की घोषणा कर चुकी हैं, जिससे बाजार में पांच लाख करोड़ रुपये आने की उम्मीद है।
सरकार को दिए जाने वाले सरप्लस ट्रांसफर को 'डिविडेंड' (लाभांश) कहा जाता है और इस साल केंद्रीय बैंक द्वारा आरबीआई को दिया जा रहा लाभांश पिछले रिकॉर्ड 65,896 करोड़ रुपये की तुलना में लगभग दोगुना है। पिछले साल आरबीआई ने सरकार को 50 हजार करोड़ रुपये, जबकि वित्त वर्ष 2016-17 में 30,659 करोड़ रुपये लाभांश के रूप में दिए थे। कुल राशि में से 28 हजार करोड़ रुपये सरकार को अंतरिम लाभांश के रूप में पहले ही ट्रांसफर किया जा चुका है।
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में छह सदस्यों वाली समिति का गठन पिछले साल 26 दिसंबर को किया गया था। समिति का गठन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के लिए इकनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क की समीक्षा के लिए किया था। दरअसल, वित्त मंत्रालय चाहता था कि दुनियाभर में अपनाए गए सर्वश्रेष्ठ तौर-तरीके आरबीआई भी अपनाए और अपने रिजर्व खाते से सरकार को थोड़ा ज्यादा निकालकर दे। रिजर्व बैंक का रिजर्व आदर्श तौर पर कितना होना चाहिए, इसके बारे में बताने के लिए इससे पहले तीन समितियां बन चुकी हैं। 1997 में वी. सुब्रह्मण्यम, 2004 में ऊषा थोराट और 2013 में वाय.एच. मालेगाम की अगुआई वाली समिति बनाई गई थी। (एजेंसियां)