अब आम लोग भी होंगे दिवालिया, कानून बनाने की तैयारी
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : कंपनियों के लिए दिवालिया कानून बनाने के बाद केंद्र सरकार अब आम लोगों के लिए भी कुछ इस तरह के नियम तैयार कर रही है। इसके लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई गई है, जो इस बात पर गंभीर रूप से विचार कर रहा है कि छोटे-मोटे डिफॉल्टर या कर्जदाताओं को ऋणदाताओं की समिति गठित करने के प्रावधान से बरी किया जाना चाहिए।
समिति ने सिफारिश की है कि कम से कम एक लाख रुपये का बकाया होने पर ही दिवालिया कार्रवाई की अनुमति दी जानी चाहिए। आम लोगों के लिए दिवालिया कानून बनने से काफी मदद मिलेगी। उन्हें अब दिवालिया के मामलों को दाखिल करने के लिए जिला अदालतों में जाना होगा। उम्मीद की जा रही है कि प्रावधान इस साल के अंत तक बनकर तैयार हो जाएंगे। सरकार ने स्टार्ट अप कंपनियों के लिए फास्ट ट्रैक समाधान प्रक्रिया के नियमों को भी अधिसूचित किया है, जिसमें समाधान का समय 180 दिन से घटाकर 90 दिन कर दिया गया है।
इस नियम के तहत दिवालिया होने के लिए आवेदन करने वाले लोगों को बकाया चुकाने की योजना खुद से तैयार करने की अनुमति होगी। कंपनियों के मामले में पुनर्भुगतान योजना बनाने का काम ऋणदाताओं के जिम्मे होता है। सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति दिवालिया हो चुके ऐसे लोगों के लिए भी नियम बना रही है, जो समाधान चाहते हैं। कॉरपोरेट गारंटर, प्रोपराइटरी फर्म और आम लोग दिवालिया कार्रवाई के लिए आवेदन कर सकते हैं। इन फर्मों के मामले ऋण वसूली पंचाट में जाएंगे, जबकि कंपनियों के दिवालिया मामले राष्ट्रीय कंपनी कानून पंचाट के पास भेजे जाते हैं। दिवालिया कानून में आम लोगों के दिवालिया मामले को भी शामिल करने के प्रावधान हैं, लेकिन अभी तक इसे अधिसूचित नहीं किया गया है।