मिशन-2019 की खातिर ना-ना करते प्यार तुम्हीं से कर बैठे, भाजपा-शिवसेना के बीच डील हुई सील
सत्ता विमर्श ब्यूरो
मुंबई : आगामी लोकसभा चुनाव के लिए ना-ना करते प्यार तुम्हीं से कर बैठे की तर्ज पर शिवसेना ने भाजपा से 23 सीटें झटक कर गठबंधन पर मुहर लगा दी है। भाजपा-शिवसेना के बीच लोकसभा चुनाव को लेकर गठबंधन हो गया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में इसका ऐलान किया। राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से भाजपा 25 और शिवसेना 23 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उद्धव ने कहा कि हमारे बीच गलतफहमियां थीं, लेकिन अगर ये बनी रहतीं तो इसका फायदा वो लोग उठा लेते, जिनसे हम 50 साल से लड़ते आ रहे हैं। अमित शाह ने भी कहा- हमारे बीच जो भी मनमुटाव थे वे आज से खत्म हो गए हैं।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि मैं दोनों दलों के कार्यकर्ताओं से कहना चाहता हूं कि भाजपा के सबसे पुराने सहयोगी दल शिवसेना और अकाली दल हैं। इन दोनों दलों ने हर परिस्थिति में हमारा साथ दिया है। अगर हमारे बीच थोड़ा मनमुटाव था जो आज इसी क्षण, इसी टेबल पर खत्म हो गया है। उन्होंने कहा- यह केवल एक राजनीतिक गठबंधन नहीं है। यह सैद्धांतिक गठबंधन भी है। कुछ दिन पहले मैंने पुणे में भी कहा भी था कि महाराष्ट्र की 48 में से 45 सीटें हमारा गठबंधन हासिल करेगा। मैं यही बात आज फिर से दोहराना चाहता हूं।
शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा, पिछले पांच साल से मेरा यह सवाल था कि हमारा गठबंधन है या नहीं, लेकिन एक मार्गदर्शक के तौर पर मैं कई बातें कह रहा था। हमने कई मुद्दे उठाए थे। खासकर किसानों का मुद्दा। इस पर सहमति बन गई है। राम मंदिर का मुख्य मुद्दा दोनों दलों के बीच साझा था। अब केंद्र ने भी सुप्रीम कोर्ट में इस बारे में एक याचिका दायर कर दी है। उद्धव ने कहा- मैं मानता हूं कि हमारे बीच मतभेद रहे हैं, लेकिन हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि अगर गलतफहमियां बनी रहेंगी तो उन लोगों को मौका मिल जाएगा जिनके खिलाफ हम पिछले 50 साल से लड़ते आए हैं।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि भाजपा और शिवसेना देश की राजनीति में 25 साल से एक साथ हैं। कुछ समय तक हमारे बीच मतभेद रहे, लेकिन सैद्धांतिक रूप से दोनों समान विचारधारा से हैं। पिछले साढ़े चार साल से हम केंद्र और राज्य में एक साथ हैं। उन्होंने कहा, लोकसभा चुनाव में भाजपा 25 और शिवसेना 23 सीटों पर लड़ेगी। विधानसभा चुनाव में दोनों दल बाकी सहयोगी दलों के लिए सीटें छोड़ने के बाद बची हुई आधी-आधी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। अब हम दोनों दलों के बीच कोई मतभेद नहीं हैं। हमने कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा कर ली है। शिवसेना की तरह भाजपा भी मानती है कि अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनना चाहिए। किसानों के मुद्दे पर भी हमारी बातचीत हुई है। हमने 50 लाख किसानों को महाराष्ट्र में कर्ज माफी दी है। जो किसान बचे हैं, उन्हें भी इसका लाभ देने का निर्णय हमने लिया है।
हैरानी बात यह है कि कुछ दिन पहले तक भाजपा जहां शिवसेना को हल्के में ले रही थी लेकिन राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में हार का स्वाद चखने के बाद भाजपा को भी यह महसूस हो रहा है कि सहयोगी दलों को बनाए रखने में ही पार्टी की भलाई है। पिछले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में दोनों ही पार्टियों के बीच गठबंधन टूट गया था और भाजपा ने वहां ज्यादा सीटें हासिल कर सरकार बनाई थी। उसके बाद से दोनों ही दलों के बीच दूरियां लगातार बढ़ती जा रही थी। हालांकि केंद्र में शिवसेना एनडीए के साथ बनी रही। महाराष्ट्र में भाजपा के बढ़ते जनाधार को देख शिवसेना ने अयोध्या के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश में पैठ बनाने की कोशिश की थी और पार्टी के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी से राम मंदिर के लिए कानून लाने की मांग कर दी थी। इसी बीच शिवसेना नेता अयोध्या भी पहुंचे थे। राफेल मुद्दे पर भी शिवसेना पूरी तरह से कांग्रेस के साथ नजर आई। जितने तीखे वार कांग्रेस ने किए, शिवसेना उससे कहीं कम नजर नहीं आई।
2014 का लोकसभा चुनाव भी दोनों दलों ने साथ लड़ा था। तब भाजपा 24 और शिवसेना 20 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। भाजपा ने 23 और शिवसेना ने 18 सीटें जीती थी। गठबंधन में शामिल राजू शेट्टी की स्वाभिमानी पक्ष को दो सीटें मिली थीं। जबकि एक-एक सीट राष्ट्रीय समाज पक्ष और रामदास अठावले की आरपीआई को दी गई थी। शेट्टी गठबंधन से अलग हो गए हैं। हालांकि, इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में शिवसेना भी एनडीए से अलग हो गई थी, लेकिन चुनाव नतीजों के बाद उसने भाजपा को समर्थन दिया और गठबंधन सरकार बनी। हालांकि, दोनों दलों के बीच रिश्ते पिछले पांच साल में काफी तनावपूर्ण रहे हैं और शिवसेना ने कई बार 2019 का लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने की बात कही थी।