फिर बिफरी शिवसेना, लिखा- 'अच्छे दिन' की रोजाना हो रही है हत्या
शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर बढ़ती महंगाई और तेल के बढ़ते दाम पर जोरदार निशाना साधते हुए कहा कि मोदी सरकार द्वारा रोजाना 'अच्छे दिन' की 'हत्या' हो रही है। शिवसेना ने सामना के संपादकीय में लिखा, कैबिनेट का यह नवरत्न पेट्रोल मूल्यवृद्धि का समर्थन कर रहा है क्योंकि उसे अपनी जेब से पैसे नहीं देने पड़ते।
जो ठीक नहीं वहां शिवसेना बोलेगी ही : उद्धव ठाकरे
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सामना को प्रदीर्घ लाइव साक्षात्कार दिया है। इस साक्षात्कार को उत्सफूर्त, बेबाक और उफान लाने वाला कहा जा सकता है। उद्धव ठाकरे का साक्षात्कार मतलब अन्याय पर वार और महाराष्ट्र द्वेषियों पर हमला। जीएसटी से लेकर नोटबंदी तक, चीन से लेकर कश्मीर तक और कर्जमुक्ति से लेकर भाजपा के व्यवहार को लेकर किए गए सवालों के उद्धव ठाकरे ने बेबाकी से जवाब दिए।
उद्धव ठाकरे को मोदी, शाह और भाजपा पर गुस्सा क्यों आता है?
सदियों से एक कहावत चली आ रही है, 'गुड़ खाना और गुलगुले से परहेज करना'। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे पर यह बड़ी सटीक बैठती है। केंद्र की सरकार हो, बीएमसी हो या फिर महाराष्ट्र की सरकार हो भाजपा-शिवसेना का मजबूत गठजोड़ हर जगह कायम है फिर भी उद्धव को मोदी, शाह और भाजपा पर गुस्सा आता है और जब तब वह अपने मुखपत्र सामना में संपादकीय के माध्यम से अपने गुस्से को सार्वजनिक भी करते रहते हैं।
नोटबंदी से फैली 'आर्थिक अराजकता' के लिए शिवसेना ने PM मोदी को ठहराया जिम्मेदार
केंद्र और महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ एनडीए में शामिल शिवसेना ने 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट बंद करने को जनता के साथ धोखा करार देते हुए सवाल किया कि क्या जनता अब भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन करेगी। शिवसेना ने सरकार के 8 नवंबर के गोपनीय मिशन की तुलना एक आर्थिक गृहयुद्ध से की और कहा कि मोदी विमुद्रीकरण के जरिए पहले ही एक बम गिरा चुके हैं। जिस तरीके से मोदी सरकार ने इस योजना को क्रियान्वित किया है, उससे देश में आर्थिक अराजकता की स्थिति पैदा हो गई है।
'...तो मोदी के बाप भी बहुमत नहीं दिला पाते'
चुनाव से ठीक एक दिन पहले शिवसेना के मुखपत्र 'दोपहर का सामना' ने नरेंद्र मोदी और भाजपा पर 'मतलब निकल गया तो पहचानते नहीं' का आरोप लगाया है। अखबार के संपादक प्रेम शुक्ला ने एक आलेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा है कि यदि शिवसेना ने भाजपा की स्टाइल में ही लोकसभा चुनावों से पहले दांव मारा होता तो मोदी के बाप दामोदरदास भी भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं दिला पाते। 'दोपहर का सामना' के संपादक प्रेम शुक्ला ने 'शर्मिंदा है बीती सदियां, देख इरादा नई सदी का!' शीर्षक से यह लेख लिखा है।