असंगठित क्षेत्र : भारतीय अर्थव्यवस्था का इंजन
देश की अर्थव्यवस्था में 50 प्रतिशत से अधिक का योगदान करने वाले असंगठित या अनौपचारिक क्षेत्र के लोगों का कुल कामगार आबादी में हिस्सा 80 प्रतिशत है। भारत का अनौपचारिक क्षेत्र या असंगठित क्षेत्र मूल से ग्रामीण आबादी से बना है। ये वे लोग हैं जो गांव में परंपरागत पेशे में रत हैं या शहरों और महानगरों में आकर आजीविका तलाशने का प्रयास करते हैं। मूल तथ्य यह है कि इन लोगों को कोई सामाजिक सुरक्षा या अन्य सरकारी लाभ नियमित तौर पर प्राप्त नहीं होता है।
देशहित में कड़े फैसले लेने का है वक्त : पीएम
गोवा की राजधानी पणजी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कड़े फैसले लेने की बात कही है। उन्होंने शनिवार को कहा कि संभव है इस तरह के फैसले कुछ वर्गों को अच्छे नहीं लगें पर ये फैसले शुद्ध रूप से देश के हित में लिए जाएंगे। ऐसा करना जरूरी है।
चुनाव लाएगा अर्थव्यवस्था में तेजी
भारतीय लोकतंत्र का ये महोत्सव इकनॉमिक स्टिमुलस के तौर पर दिख रहा है। लोकतंत्र के महोत्सव के बहाने भारतीय अर्थव्यवस्था को मिलने वाला ये स्टिमुलस यानी राहत पैकेज न सिर्फ अर्थव्यवस्था में तेजी लाएगा बल्कि, युवा भारत की सबसे बड़ी समस्या यानी बेरोजगारी के लिए भी बड़ी राहत का काम करेगा।
भारत में आर्थिक सुस्ती को पलटने की क्षमता है : राष्ट्रपति
भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत होने के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के दावे का समर्थन करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने प्रवासी भारतीय समुदाय को आश्वस्त किया कि आकर्षक निवेश गंतव्य के तौर पर भारत एक मजबूत देश के रूप में उभर रहा है।
भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत, निराशा की वजह नहीं : PM
12वें प्रवासी भारतीय दिवस का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि वैश्विक मंदी की वजह से विकास दर में कमी जरूर आई है, लेकिन हमारी अर्थव्यस्था की बुनियाद बेहद मजबूत है और आने वाले कुछ समय में हम कठिनाइयों से पार पा लेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा, 'हमारे वर्तमान के बारे में हताश होने की या हमारे भविष्य के बारे में चिंता करने की कोई वजह नहीं है।''
यूपीए ने किया अर्थव्यवस्था का बेड़़ा गर्क
लोकतंत्र की स्थापना की कुछ बुनियादी शर्तें होती हैं जिसे इसके मूलभूत सिद्धांतों के रूप में चलना जरूरी होती है। लेकिन अब जबकि लोकतंत्र में सुशासन की मांग नए सिरे से जोर पकड़ रही है तो ऐसे में उस लोकतंत्र में कुछ नये मूलभूत सिद्धांतों को शामिल करने की दरकार आन पड़ी है।
अर्थनीति : हम हैं दुनिया के भरोसे तो...
रुपया कब मजबूत होगा। इस सवाल के जवाब में जब हम भारतीय रुपये की मजबूती की कल्पना करते हैं तो शायद दिमाग में 64-65 का भाव अच्छा दिखता होगा। वजह ये कि जिस तेजी से रुपया डॉलर, पाउंड और दूसरी मुद्राओं के मुकाबले सरक रहा है उसमें हमें ये लगता है कि जहां है वहीं रुक जाए तो बात बन जाए। और, शायद भारत की सरकार भी कुछ ऐसा ही सोच रही है। इसी वजह से फिलहाल रुपये की मजबूती के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं।