बबुआ की गुजारिश; नेताजी! बस तीन महीने हमें दे दो, फिर सब कुछ आपका
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजने के बाद सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के दोनों गुटों में साइकिल की सवारी को लेकर शक्ति प्रदर्शन जारी है। इस होड़ के बीच मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि नेता जी (सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव) उन्हें बस तीन महीने के लिये पार्टी में सारे अधिकार दे दें और वह चुनाव जीतने के बाद उन्हें सारे हक लौटा देंगे।
समाजवादी दंगल : पिता-पुत्र में सुलह की जोर आजमाइश, पर अभी तक नहीं बनी है बात
उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में छिड़ी वर्चस्व की जंग के चुनाव आयोग के समक्ष पहुंचने के बीच दिल्ली और लखनऊ में सुलह-समझौते की कोशिशें भी जारी रहीं, लेकिन पिता-पुत्र के बीच कोई बात नहीं बन पाई। पिछले रविवार को समाजवादी पार्टी के विवादित राष्ट्रीय अधिवेशन से शुरू हुई आर-पार की जंग के बाद अखिलेश ने मंगलवार को पहली बार अपने पिता मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की। हालांकि बैठक में क्या बात हुई, इस बारे में आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं मिल सकी है, लेकिन यह बैठक बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई।
सपा में घमासान के बीच बोले मुलायम, पार्टी मुझसे है, लोग मेरे साथ हैं
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने सोमवार को कहा कि उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी उनसे जुड़ी हुई है और उन्हें लोगों का भरपूर समर्थन प्राप्त है। उन्होंने बेदाग जीवन जीया है और सर्वोच्च न्यायालय ने भी उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों में उन्हें क्लीन चिट दे दी है। सोमवार को नई दिल्ली रवाना होने से पहले पत्रकारों से बातचीत में मुलायम सिंह यादव ने यह भी कहा कि वह दिल्ली में निर्वाचन आयोग जाकर पार्टी के चुनाव चिह्न 'साइकिल' पर दावा पेश करेंगे।
और अब 'बबुआ' का समाजवाद!
लगता है अब वो समय आ गया है जब बॉलीवुड उत्तर प्रदेश में वंशवाद की समाजवादी राजनीति पर एक फिल्म बनाए। फिल्म का नाम होना चाहिए 'बबुआ का समाजवाद' और उसका शीर्षक गीत (टाइटल सांग) जनवादी कवि गोरख पांडेय की समाजवाद के भटकाव पर लिखी कविता से शुरू होनी चाहिए- 'समाजवाद बबुआ धीरे-धीरे आई...हाथी से आई, घोड़ा से आई...लाठी से आई, डंडा से आई...समाजवाद बबुआ धीरे-धीरे आई...
सपा में तख्तापलट; अखिलेश बने राष्ट्रीय अध्यक्ष, शिवपाल की गई कुर्सी, अमर सिंह पार्टी से आउट
समाजवादी पार्टी में पारिवारिक घमासान थमता नजर नहीं आ रहा है। रविवार को अखिलेश खेमा ने तख्तापलट करते हुए मुलायम सिंह यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से बेदखल कर पार्टी की कमान खुद थाम ली है। प्रदेश अध्यक्ष पद से शिवपाल यादव को हटाकर एमएलसी नरेश उत्तर को जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा राज्यसभा सांसद अमर सिंह को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। मुलायम सिंह यादव को पार्टी का संरक्षक घोषित कर दिया गया है। इसके बाद पार्टी समर्थकों ने पार्टी मुख्यालय पर कब्जा कर लिया।
मुलायम vs अखिलेश, आखिर कब तक?
समाजवादी पार्टी में पारिवारिक कलह की आग से जब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी झुलसने लगे तो हमेशा से पिता मुलायम के हर फैसले को मानने वाले सुल्तान (अखिलेश) ने अपनी ताकत का अहसास कराकर जता दिया कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में उनकी स्वतंत्र सत्ता है और इसमें जनता, समाजवादी पार्टी और सरकार तीनों का समर्थन हासिल है। बड़ा सवाल यह है कि पिता-पुत्र के बीच इस तरह का शक्ति परीक्षण कब तक चलता रहेगा? अगर यह नौटंकी है और सब कुछ फिक्स है तो यह प्रदेश की जनता और सपा के लाखों कार्यकर्ताओं से बड़ा धोखा है।
सपा का Family Drama खत्म, सुलह के बाद अखिलेश-रामगोपाल का निष्कासन हुआ रद्द
समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच शक्ति प्रदर्शन में आखिरकार अखिलेश जीत ही गए है क्योंकि शनिवार को मुलायम और अखिलेश दोनों ने ही अपने-अपने समर्थकों की बैठक बुलाई थी। अखिलेश की बैठक जब शुरू हुई तो इसमें पक्के तौर पर 200 से ज्यादा विधायकों के पहुंचने की बात की गई है। इसके अलावा, करीब 34 एमएलसी और वे उम्मीदवार भी पहुंचे हैं, जिनका नाम अखिलेश की 235 सदस्यों की सूची में शामिल था। अखिलेश से मुलाकात के बाद उनका और रामगोपाल का निष्कासन वापस लेने पर मुलायम राजी हो गए।
मुलायम की 'सपा' से अखिलेश और रामगोपाल बर्खास्त
उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के कुनबे में मचे घमासान के बीच समाजवादी पार्टी (सपा) मुखिया मुलायम सिंह यादव ने ऐतिहासिक भूल से भरी कार्रवाई करते हुए अपने बेटे एवं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और पार्टी के महासचिव व भाई रामगोपाल यादव को पार्टी से छह-छह साल के लिए बर्खास्त कर दिया। इससे पार्टी में दो-फाड़ होने का संकट गहरा गया है। इसके मद्देनजर शनिवार का दिन काफी अहम हो गया है।
मुख्यमंत्री अखिलेश की इसी बगावती सूची से सपा में मच गया बवाल
समाजवादी पार्टी ने मुलायम सिंह यादव की अध्यक्षता में अपनी अधिकारिक 325 उम्मीदवारो की पहली सूची बुधवार को जारी कर दी। इस सूची में कहा जाता है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबी नेताओं के पत्ते काट दिए गए। अखिलेश ने मुलायम से इस बारें में गुरुवार को वार्ता की लेकिन बात नहीं बनी तो जवाब में अखिलेश यादव ने 235 उम्मीदवारों की एक समानांतर सूची अपनी तरफ से जारी कर दी जिसे अभी आधिकारिक तौर पर घोषित नहीं किया गया है।
टिकट बंटवारे पर दंगल : मुलायम और शिवपाल के 325+78 के जवाब में अखिलेश ने उतारे 235
उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) में दो फाड़ होने के संकेत मिल रहे हैं। यह हालात तब पैदा हुए जब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने पिता और सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव से खुली बगावत कर उनके द्वारा जारी 325 उम्मीदवारों की सूची जारी किए जाने के बाद अपनी तरफ से 235 उम्मीदवारों की एक समानान्तर सूची जारी कर दी। हालांकि मुख्यमंत्री की ओर से प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बारे में कोई आधिकारिक घोषणा अभी नहीं की गई है, लेकिन सोशल मीडिया पर यह पूरी सूची मौजूद है।